अश्वत्थामा: महाभारत का अमर योद्धा

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अश्वत्थामा कौन था?

जब हम सात चिरंजीवी ओ की बात करते हैं तो अक्सर उन लोगों की बात करते हैं जिन्हें अमर होने का वरदान मिला था जो किसी विशेष लक्ष्य के कारण आज भी जीवित हैं, लेकिन इन चिरंजीवी ओं की लिस्ट में एक नाम है। ऐसा भी है जो वरदान के कारण नहीं बल्कि एक श्राप के कारण आज भी जीवित है और उनका नाम है। अश्वत्थामा अश्वत्थामा महाभारत का एक बहुत ही इंपॉर्टेंट कैरेक्टर है। एक ऐसा करो जो अपने आप में बहुत शक्तिशाली पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य का बेटा था। जिसके पास असीम शक्तियां थी, यहां तक कि उसे ब्रह्मास्त्र का उपयोग करना भी आता था। पर उसने कुछ ऐसी गलतियां की जिसके लिए उसे श्री कृष्णा ने एक श्राप दिया।

अश्वत्थामा ने महाभारत युद्ध में क्या किया?

आज अगर आपसे कोई कहे कि किसी एक शक्स देते हुए 5 बच्चों को जान से मार दिया तो अब क्या कहेंगे। आप कहेंगे कि वह कितना निर्दई होगा, उसमें इंसानियत होगी क्योंकि कोई भी जीता जाता इंसान ऐसा। काम करने से पहले कई बार सोचेगा। खासतौर पर जब बच्चों को मारने की बात आती है तो लोग उनका मासूम चेहरा देखकर ऐसा कर नहीं पाते। कई बार जेल वेस्ट भी बच्चों को छोड़ देते हैं, लेकिन अश्वत्थामा की कहानी कुछ ऐसी ही है। अश्वत्थामा ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ाई की थी। अश्वत्थामा ने कौरवों को जिताने का भरसक प्रयास किया और काफी हद तक उन्होंने पांडवों को नुकसान भी पहुंचा है क्योंकि जैसे हम बात कर चुके हैं, उनके पास ब्रह्मास्त्र था और भी बहुत सारे डिवाइन अस्त्र-शस्त्र थे जिनकी उन्हें जानकारी। लेकिन फिर भी सच्चाई की जीत हुई पांडव जीते और कौरव हार गए

अश्वत्थामा को क्यों शाप दिया गया?

अश्वत्थामा को यह हार बर्दाश्त ना हुई। अपने सबसे अच्छे मित्र दुर्योधन का युद्ध भूमि में दर्द में तड़पता देख विचलित हो और उन्होंने दुर्योधन पांडवों के वंश का नाश कर देंगे और इसके लिए वह चले गए। पांडवों के शिविर की और पांडवों के सोते हुए। 5 बच्चों को उन्होंने मार दिया। लेकिन उसके बाद भी अश्वत्थामा को शांति नहीं मिली। अर्जुन के बेटे अभिमन्यु की विधवा पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा बच्चा जिसका नाम बाद में परीक्षित रखा गया। अश्वत्थामा उससे भी मारना चाहता था। और इसके लिए उसने ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। श्रीकृष्ण ने परीक्षित को तो बचा लिया, लेकिन पांडवों के 5 बच्चों को मारने और परीक्षित को मारने का प्रयास करने को लेकर श्री कृष्ण अश्वत्थामा बहुत खेल हुए क्रोधित हुए और श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया। श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा से कहा कि तुम्हें अपनी हार बर्दाश्त नहीं है।

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तुम्हें दुर्योधन का दर्द बर्दाश्त नहीं है। लेकिन तुम इस दर्द के साथ इस ब्रह्मांड के अंत तक जीवित रहोगे। तुम्हें अमरत्व का वरदान नहीं मिलेगा अपितु अमरत्व का श्राप में तुम्हें देता। श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि तुम कुष्ठ रोग के साथ। रहोगे? और अपने इलाज के लिए इधर-उधर तड़पते घूमते रहोगे। ऐसा कहते हुए उन्होंने अश्वत्थामा के माथे पर जो बनी थी, उसे निकाल लिया। यहां पर कुछ पौराणिक कहानियां यह भी कहती है कि अश्वत्थामा ब्रह्मांड के अंत तक नहीं बल्कि एक युग के अंत तक जीवित है। यानी कि श्रीकृष्ण ने उन्हें पूरी एक ही योग्यता सुशील दर्द के साथ जीवित रहने का श्राद्ध बहुत सी पौराणिक कथाएं। यह कहती है कि वह ब्रह्मांड के अंत तक किसी दर्द के साथ जीवित रहेंगे। महाभारत की कुछ कथाओं में यह भी कहा जाता है कि द्रोणाचार्य को एक ऐसे बच्चे की चाहत थी कि चिरंजीवी हो।

इसे कोई रोग ना सताए जिससे किसी देवी देवता का डर ना हो। असीम शक्तियों से संपन्न हो और इसे चाहत में उन्होंने भगवान शिव की तपस्या और शिव ने उन्हें अश्वत्थामा का वरदान दिया। अश्वत्थामा जब जन्मे थे उनके सिर पर एक मणि मणि के बारे में कहा जाता है कि उसके। अश्वत्थामा को कोई नहीं हरा सकता। किसी भी रोग से परेशान नहीं होते। उन्हें बीमारियां नहीं, लेकिन अपनी शक्ति का उसने हमेशा दुरुपयोग किया क्योंकि उसे धर्म और राज्य का लालच था।

अश्वत्थामा अब कहाँ है?

अब सवाल उठता है कि अगर अश्वत्थामा जीवित है और वह इधर उधर भटकते रहते हैं तो क्या वह कहीं किसी को दिखाई देते हैं, इसे लेकर बहुत से लोग दावा करते हैं। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में असीरगढ़ का एक अकेला है। जहां भगवान शिव का एक बहुत प्राचीन मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि अश्वथामा हर सुबह यह पूजा करने आते पुजारी के आने से पहले शिव पर हर रोज फूल चढ़ा हुआ मिलता है। इसे समझने के लिए बहुत तेज न्यूज़ चैनल ने रात से सुबह तक का वीडियो भी तैयार किया पर उन्हें कुछ समझ नहीं आया। द्वार खुलने पर ताजा भगवान शिव के ऊपर चढ़ा हुआ मिलता है

अश्वत्थामा को किसने देखा है

इसी मंदिर के आसपास एक अजीब से 12 से। 14 फीट लंबे इंसान को कई बार देखा गया है जो लोगों से हल्दी और तेल मांगता है। कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि पास के तालाब में अश्वत्थामा को उन्होंने नहाते हुए भी देखा है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के का आयुर्वेदिक डॉक्टर और गुजरात के एक रेलवे इंजीनियर ने भी कुछ दावा किया है।

Prithviraj_Raso
image credit – wikipedia

यहां तक कि भारत के एक महान योद्धा पृथ्वीराज के जीवन पर लिखी गई बहुत ही फेमस किताब “पृथ्वीराज रासो” में भी अश्वत्थामा का उल्लेख मिलता। इस किताब में बताया गया है कि जब पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी से हारने के बाद भटकते हुए जंगल की ओर चले गए तब उनकी भेंट जंगलों में अश्वत्थामा से हुई थी। बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान ने अश्वत्थामा के सिर पर मणि के निकलने का घाव और उस पर हुए इन्फेक्शन का इलाज करने की पूरी कोशिश की, क्योंकि पृथ्वीराज अपने आप में एक बहुत बड़े आयुर्वेदाचार्य थे पर घाव भरा नहीं और उसके बाद अश्वत्थामा अपना परिचय उन्हें देखकर वहां से चले गए। यह तो थी। महाभारत के। महान योद्धा अश्वत्थामा के इम्मोर्टल होने की कहानी.

क्या अश्वत्थामा अभी भी जीवित हैं?
अश्वत्थामा के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है कि वे अब कहां हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वे एक गुफा में रह रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि वे जंगलों में भटक रहे हैं. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अश्वत्थामा अभी भी जीवित हैं और वे एक दिन वापस आएंगे.

अश्वत्थामा कहां रह रहे हैं?
अश्वत्थामा के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है कि वे अब कहां हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वे एक गुफा में रह रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि वे जंगलों में भटक रहे हैं. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अश्वत्थामा अभी भी जीवित हैं और वे एक दिन वापस आएंगे.

अश्वत्थामा को भगवान कृष्ण ने क्यों श्राप दिया था?
अश्वत्थामा को भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के पांच पुत्रों और उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए श्राप दिया था. इस अपराध के लिए कृष्ण ने कहा कि अश्वत्थामा कुष्ठ रोग से पीड़ित होंगे और ब्रह्मांड के अंत तक जीवित रहेंगे.

 

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